6638 मीटर ( 21778 फ़ीट ) की ऊंचाई लिए पवित्र और अद्वितीय कैलाश पर्वत सुदूर दक्षिणी पश्चिम हिमालय श्रृंखलाओं में स्थित है I कैलाश पर्वत हिमालय की सबसे ऊँची चोटियों में से एक है और एशिया में बहने वाली कई प्रसिद्द नदियों का उद्दगम स्थल भी है I हिन्दू, बौद्ध, जैन और बॉन धर्म में अलग अलग नाम और धारणाओं से प्रसिद्द यह अद्वितीय पर्वत सममित आकार का है I काले रंग की अद्भुत्त चट्टानों से निर्मित हीरे के आकार वाला कैलाश पर्वत चारो और सुन्दर चट्टानों एंड शुष्क धरातल से घिरा है |
दुनिया के सबसे पवित्र पर्वतों में से एक कैलाश पर्वत न केवल हिन्दू, बौद्ध, जैन और बॉन अनुयायिओं के लिए ही नहीं अपितु अन्य कई धर्मो के लिए सर्वोच्च धार्मिक स्थलों में सम्मिलित है I प्रत्येक वर्ष कई हजार श्रद्धालु दुनिया के कोने कोने से इस अध्भुत आध्यात्मिक स्थल के दर्शनों हेतु यहां आते है I ऐसा मान जाता है की कैलाश पर्वत की परिक्रमा संपूर्ण करने से जीवन में शुभ की प्राप्ति होती है, एक अलौकिक आध्यात्म की अनुभूति होती है और जीवन के सभी पापों से मुक्ति मिलती है I कैलाश पर्वत की परिक्रमा लगभग 53 किलोमीटर की है जिसमें से कुछ 11 किलोमीटर वाहन द्वारा तथा 42 किलोमीटर पैदल संपन्न की जाती है I इस परिक्रमा को एक दिन में संपन्न करना अत्यधिक कठिन है और अधिकतर यात्री इस परिक्रमा को तीन दिन में संपन्न करते हैं I इस परिक्रमा को संपन्न करने के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ और मजबूत होना अनिवार्य है I सभी कठिनाइयों के बाद भी बहुत से निपुण एवं सक्षम बॉन और बुद्ध धर्म के कई तिब्बतन अनुयायी इस परिक्रमा को बिना रुके एक ही दिन में भी संपन्न करते हैं I हिन्दू और बौद्ध धर्म में कैलाश पर्वत की परिक्रमा दक्षिणावर्त (clockwise) की जाती है जबकि बॉन धर्म के अनुयायी इस परिक्रमा को वामा वर्त (anti clockwise) करते हैं I
हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार देवों के देव महादेव शिव भगवान् जो कि प्रलय और पुनर्जन्म के रचेता माने जाते हैं इस पर्वत की चोटी पर ही वास करते हैं I कई प्रसिद्द धर्म ग्रंथों में कैलाश को स्वर्ग की उपाधि दी गई है, जहाँ मृत्यु के पश्चात पुण्यात्मा वास करती है I कैलाश को हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार संसार का केंद्र बिंदु भी मान गया है I पुरानो में कैलाश कहा गया है कि कैलाश के चार मुख क्रिस्टल, माणिक, सोने, लाजुली पत्थर लापीस से बने है I हिन्दू धर्म ग्रंथों में कैलाश पर्वत को संसार का स्तम्भ भी माना गया है, जिसपर ये धरती टिकी है I कहा जाता है की यहाँ से निकलने वाली चार प्रमुख नदियां संसार को चार प्रमुख क्षेत्रो में विभाजित करती हैं I कैलाश पर्वत उतना ही प्राचीन है जितनी कि हमारी सृष्टि, प्रकाश तरंगों और ध्वनि तरंगो का अनूठा समागम यहाँ 'ॐ' कि प्रतिध्वनि का आभास कराती हैं I भगवान् विष्णु के कर कमलों से निकल कर यहाँ गंगा जी कैलाश पर्वत पर गिरती है जहाँ स्वयं भगवान् शिव उसे अपनी जटाओं में धारण कर निर्मल धरा के रूप में संसार में प्रवाहित करते हैं I
तिब्बतन बौद्ध धर्म के अनुयायिओं के अनुसार कैलाश भगवान् बुद्ध का स्थान है जो संसार में शांति के प्रचारक हैं I तिब्बतन में यह मान्यता है कि यही वह स्थान है जहाँ बौद्ध धर्म ने तिब्बतन बॉन धर्म कि स्थापना कि थी I ऐसी भी मान्यता है कि तांत्रिक बौद्ध विद्या के गुनी 'भगवान् मिलरेपा' तिब्बत कि धरती पर बॉन धर्म के प्रचारक 'नरो-बोंचुंग' को चेतावनी दी और दोनों अद्भुत शक्तियों के स्वामियों का आपस में युद्ध हुआ जिसमें कोई भी नहीं जीता I बौद्ध धर्म जो की तिब्बत की धरती पर बॉन धर्म के रूप में प्रचलित है की कैलाश पर्वत आकाश की देवी 'सिपैमें' का सिंघासन है I बौद्ध धर्म के अनुयायी यह मानते हैं कि यहाँ आ कर उन्हें मोक्ष कि प्राप्ति होती है I
जैन धर्म में कैलाश को ‘मेरु’ या ‘सुमेरु’ पर्वत के नाम से भी जाना जाता है I जैन धर्मावलम्बियों में कैलाश के पास स्थित पर्वत ‘अष्टपद’ अत्यन्त पूज्यनीय है क्यूंकि जैन धर्म कि मान्यता अनुसार अष्टपद पर जैन धर्म के प्रथम तीर्थकर भगवान् ऋषभदेव (आदिनाथ) ने मोक्ष कि प्राप्ति कि थी | अनेको धर्मावलम्बियों के इलावा कैलाश पर्वत अनेको प्रकृति प्रेमियों एवं पर्वतारोहियों के लिए भी अत्यन्त महत्वपूर्ण व प्रचलित है I रूस, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, जर्मनी, फ्रांस और दुनिया के कई अन्य देशों से पर्वतारोही इस साहसिक और आध्यात्मिक यात्रा का आनंद उठाने प्रतिवर्ष भारी संख्या में आते है I
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