लखनऊ और नेपालगंज से कैलाश मानसरोवर यात्रा अब हेलीकाप्टर द्वारा केवल 09 दिन में पूर्ण की जा सकती है। यह मार्ग कैलाश मानसरोवर यात्रा में आने वाली बहुत सी कठिनाईओ को कम तो करता ही है साथ साथ समय की भी बचत करता है। लखनऊ से नेपालगंज केवल 4 से 5 घंटे की दुरी पर स्थित है। लखनऊ से नेपालगंज की दुरी सड़क मार्ग द्वारा तय की जाती है और फिर यात्रिओ को हवाई जहाज व हेलीकाप्टर की विशेष सुविधाओ द्वारा सिमिकोट के रास्ते हिलसा ले जाया जाता है। सीमा पर सभी कस्टम औपचारिकताओं के समाशोधन के बाद यात्री बस व लैंड क्रूजर द्वारा पुरांग पहुंचते है जो तिब्बत, चीन का एक छोटा और सुंदर सीमावर्ती शहर है। आगे की यात्रा प्राकृतिक दृश्यों का आंनद लेते हुए बस व लैंड क्रूजर द्वारा पूर्ण की जाती है।
09 बजे का समय लखनऊ से नपलगंज प्रस्थान के लिए सुनिश्चित किया जाता है , यात्री दिए वक़्त और बताये हुए स्थान पर एकत्रित होंगे जहाँ से यात्री नेपालगंज के लिए रवाना हो जायेंगे, रास्ते में चाय / कॉफी के लिए रुकने के पश्चात यात्री फिर नेपालगंज की ओर प्रस्थान करेंगे जहां मैक्स हॉलीडेज का कर्मी दल यात्रियों के ठहरने की व्यवस्था गेस्टहॉउस या होटल में करेगा I
नेपालगंज सिमिकोट और हिलसा के मध्य हवाई मार्ग बहुत ही दुर्गम और अप्रत्याशित है इसलिए यह मार्ग कठिनाइयों से भरा रहता है I कर्मी दल मौसम और फ्लाइट की बुकिंग के अनुरूप यात्री दल को एयरपोर्ट ले जायेंगे जहाँ से यात्री सिमिकोट के लिए रवाना होंगे (सिमिकोट पहुच कर यदि मौसम और आगे का रास्ता साफ़ हुआ तो कर्मी दल उसी समय अगले पड़ाव हिल्सा के लिए हेलीकाप्टर का प्रबंध कर सकते हैं) I रात का भोजन और आराम सिमिकोट के गेस्टहॉउस में I
आवश्यक सुचना : जैसा कि सूचित किया गया है, हिल्सा-सिमिकोट-नेपालगंज हवाई यात्रा पूरी तरह से मौसम पर निर्भर है। इस यात्रा के दौरान उड़ानों में देरी, पुनर्निर्धारण (recheduling) या कैंसलेशन एक आम समस्या है। यदि, मौसम में खराबी, उड़ानों की देरी/कमी या पुनर्निर्धारण, या किसी अन्य कारण से आपको सिमिकोट अथवा हिल्सा अधिक समय के लिए रुकना पड़ता है, तो कृपया ध्यान दें कि हिल्सा और सिमिकोट में यात्रियों के लिए बेहद बुनियादी आवास और सीमित सुविधाएं उपलब्ध हैं, विशेष रूप से वृद्ध लोगों के साथ स्वास्थ्य समस्या काफी संभव है, इसलिए यह उचित है की ऐसी परिस्थिति में अपने विवेक से मॉक लें और समूह के साथ बने रहें ताकि आवश्यकता पड़ने पर सहायता जरूरतमंद यात्री तक पहुंच सके। वापसी पर हिल्सा/सिमिकोट/नेपालगंज में अतिरिक्त रात्रि प्रवास पैकेज में शामिल नहीं है और यदि ऐसी आवश्यकता होती है, तो अतिरिक्त होटल और भोजन के लिए अतिरिक्त खर्च यात्रियों द्वारा गाइड या होटल को देय होगा। किसी भी परिस्थिति में अतिरिक्त होटल बुकिंग, अतिरिक्त भोजन या किसी अन्य अतिरिक्त सेवाओं के लिए यात्री को अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ेगा जैसा कि सूचित किया गया है, हिल्सा-सिमिकोट-नेपालगंज हवाई क्षेत्र बहुत जटिल है और पूरी तरह से मौसम की अनुमति है। इस सेक्टर पर उड़ानों में देरी या पुनर्निर्धारण या रुकावट इस यात्रा की एक आम समस्या है। यदि, जलवायु परिस्थितियों, उड़ानों की कमी या पुनर्निर्धारण, या किसी अन्य कारण से आप हिल्सा में फंस जाते हैं, तो कृपया ध्यान दें कि हिल्सा में आगंतुकों के लिए बुनियादी आवास और सीमित सुविधाएं हैं, विशेष रूप से वृद्ध लोगों के साथ स्वास्थ्य समस्या काफी संभव है, इसलिए यह उचित है समूह के साथ बने रहें ताकि आवश्यकता पड़ने पर सहायता आप तक पहुंच सके। वापसी पर हिल्सा/सिमिकोट/नेपालगंज में अतिरिक्त रात्रि प्रवास पैकेज में शामिल नहीं है और यदि आवश्यकता होती है, तो अतिरिक्त प्रवास और भोजन, जो यात्रियों द्वारा सीधे नेपाली टीम को देय है। किसी भी अप्रयुक्त प्रवास, भोजन या किसी अन्य सेवा के लिए कोई धनवापसी या समायोजन लागू नहीं है। हम प्राथमिक चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करते हैं लेकिन अस्पताल में भर्ती होने की स्थिति में अन्य सभी अतिरिक्त चिकित्सा खर्च और/या आपातकालीन निकासी शुल्क का भुगतान केवल तीर्थयात्री/यात्री द्वारा किया जाता है। यात्रा से लौटने पर नेपालगंज में कोई होटल आवास इस पैकेज में शामिल नहीं है और यदि आप मांग करते हैं तो शुल्क लिया जाएगा। किसी भी परिस्थिति में कोई भी सर्विस जो उपभोग (use) नहीं की गई है उसके लिए कोई धनवापसी या समायोजन (एडजस्टमेंट) नहीं होगी। यात्रा पर हमारे गाइड प्राथमिक चिकित्सा की सुविधाएं प्रदान करते हैं लेकिन तबियत बिगड़ने पर अस्पताल में भर्ती होने की स्थिति में अन्य सभी अतिरिक्त चिकित्सा खर्च और/या आपातकालीन निकासी शुल्क का भुगतान केवल यात्री द्वारा किया जायेगा। यात्रा से लौटने पर नेपालगंज में कोई होटल आवास इस पैकेज में शामिल नहीं है और यदि आप ऐसी मांग करते हैं तो होटल के लिए अतिरिक्त शुल्क गाइड / होटल द्वारा आपसे लिया जाएगा।
सुबह का नाश्ता कर जल्दी ही यात्री दल को लेकर हमारे कार्यवाहक दल के सदस्य नेपाल-चीन सीमा पर स्थित आप्रवासन (इमिग्रेशन) स्थल हिल्सा पहुँचने का प्रयास करेंगे I हिल्सा पहुँचने के लिए हेलीकाप्टर का प्रयोग किया जायेगा I कस्टम की औरपचारिक्ताओं को पूरा कर यात्री दल चीन में प्रवेश करेगा और अपने अगले गंतव्य तकलाकोट के लिए बस में निकल पड़ेगा I
आवश्यक सुचना : क्यूंकि आप धीरे धीरे अधिक ऊंचाई वाले स्थान की तरफ यात्रा कर रहे हैं, इसलिए आपके स्वास्थ्य पर असहजता के कुछ परिणाम हो सकते हैं, इसलिए सभी यात्रियों को यह सलाह दी जाती है कि वे जितना संभव हो सके उतना तरल पदार्थों जैसे कि सूप, जूस, चाय, कॉफी इत्यादि का सेवन करते रहे, यह आपके शरीर में ऑक्सीजन कि मात्रा बनाये रखने में कुछ मदद करेगा। अधिक ऊंचाई वाले / उच्च वायुदाव वाई स्थानों पर यात्रा के समय अधिक पेय पदार्थों का सेवन आपको पुनर्जलीकरण के साथ-साथ श्वसन प्रणाली में सुधार करने में मदद करेगा ।
आज का दिन ताकलाकोट में वातावरण के अनुकूल खुद को ढालने के लिए रखा गया है I आप ताकलाकोट में टहल सकते है, वहां के बाजार में घूमने का आनंद के सकते है अथवा ट्रैकिंग का अभ्यास करके खुद को कैलाश पर्वत की ट्रैकिंग के लिए तैयार कर सकते है I यदि सभी यात्रियों का स्वस्थ्य सही रहा तो चीनी गाइड से सलाह करके पुरे जत्थे को सुबह ही अगले गंतव्य मानसरोवर ले जा सकते है I
आज का दिन यात्रा का बहुत महत्वपूर्ण दिन है क्योंकि आज हमारी यात्रा हमें पवित्र स्थल मानसरोवर झील पर ले के जाएगी और आज यात्री दल को पवित्र कैलाश पर्वत की प्रथम छवि भी देखने को मिलेगी I नाश्ते के पश्चात यात्री दल कई आप्रवासन प्रक्रियाओं को पूरा करते हुए मानसरोवर झील के निकट पहुंचेगा I मानसरोवर झील के निकट गेस्टहॉउस में वक़्त बिताये या इस सुन्दर और मनमोहक स्थल की छटाओं को अपने ह्रदय में बसाने के लिए आस पास के क्षेत्र का पैदल भ्रमण भी किया जा सकता है I
रात के समय मानसरोवर झील के दर्शन : रात में यात्री चाँद की रोशनी में मानसरोवर झील की सुंदरता को देखने के लिए जा सकते हैं। हालाँकि रात में झील पर जाना पूरी तरह से सुरक्षित है, लेकिन यह सलाह दी जाती है कि यात्री समूह में जाएं और यदि संभव हो तो किसी भी आवश्यक मदद के लिए एक नेपाली शेरपा को अपने साथ ले जाएँ। अपने आप को गर्म कपड़ों या कंबल से ठीक से ढकें क्योंकि रात के समय यहाँ बाहर का तापमान काफी ठंडा होगा। अपने साथ पीने का पानी, टॉर्च और सीटी ले जाना न भूलें।
सुबह पवित्र मानसरोवर झील में स्नान और पूजा पाठ कर यात्री दल अपने अगले गन्तव्य दारचेन के लिए प्रस्थान करेगा I दारचेन कैलाश पर्वत की परिक्रमा और कई अन्य पवित्र यात्राओं का आरम्भ स्थल है I दारचेन के रास्ते में हम मानसरोवर के दूसरी और राक्षस ताल के दर्शन करेंगे I मानसरोवर झील की पवित्रता के प्रतिकूल राक्षस ताल के जल में स्नान अपवित्र अथवा अशुभ माना जाता है I हमारा पैदल यात्रा का आरंभ स्थल यम द्वार है जहाँ परिक्रमा के लिए घोड़े, याक और पिट्ठू भी किराये पर मिलते हैं I जो यात्री परिक्रमा नहीं कर सकेंगे वह यम द्वार से लौट जायेंगे और बाकी दल के सदस्य अगले पड़ाव देरापुख के लिए अपनी यात्रा आरम्भ करेंगे I 12 किलोमीटर की यह यात्रा अधिक कठिन नहीं है और 4 से 5 घंटे में पूरी की जा सकती है I देरापुख कैलाश पर्वत के उत्तरी मुख के दर्शनों हेतु सबसे समीप स्थान है I यहां से कैलाश जी की छवि देखते ही बनती है I यात्री यहाँ गेस्टहॉउस में विश्राम करेंगे और अपनी इच्छानुसार दर्शनों का लाभ उठाएंगे I अधिक ठंडा मौसम होने के कारण हम जल्द ही अपने अपने बिस्तर में लौट जायेंगे I
आवश्यक सूचना : जो यात्री अपने निजी पसंद अथवा तबियत के कारण तय प्रोग्राम के अनुसार कैलाश पर्वत की परिक्रमा पर नहीं जाना चाहते वह ग्रुप के साथ यम द्वार तक जा सकते है जहा से कैलाश पर्वत के सुन्दर दर्शन होते है। यम द्वार से दर्शन करके वह यात्री दारचेन स्थित होटल में ठहर सकते है। ऐसी परिस्थिति में दारचेन में दो रातें रुकने के लिए होटल का अतिरिक्त खर्च यात्री द्वारा गाइड / होटल को देय होगा।
देरापुख से चरण स्पर्श ट्रैकिंग : चरण स्पर्श डिरापुक से 3 किलोमीटर की( एक तरफ) की पैदल दूरी पर है। भगवान शिव के चरणों को छूने के लिए इस छोटे (अति दुर्गम) ट्रेक पर जाने के लिए कोई भी टूर गाइड से परामर्श ले सकता है। यह ट्रेक पैकेज का हिस्सा नहीं है और मौसम की स्थिति, स्थानीय प्राधिकरण की अनुमति और गाइड की सलाह पर निर्भर करता है।
आज का दिन इस यात्रा का सबसे कठिन दिन है I आज यात्रा का रास्ता लंबा और दुर्गम होने वाला है I सुबह सुबह सूर्य की पहली किरण कैलाश पर्वत को मनमोहक बना देती है I कैलाश जी के स्वर्णिम दर्शन पा के यात्री दल अगले पड़ाव जुथुलपुख के लिए पैदल रवाना हो जाते है I 19 किलोमीटर की इस यात्रा के दौरान हम यात्रा के सबसे ऊँचे पड़ाव डोलमा-ला (5630मी) से होकर गुजरते हैं I डोलमा-ला की चढ़ाई और उतराई दोनों मुश्किल है और पत्थरों से भरी हैं I डोलमा-ला पार करके यात्री पवित्र गौरी कुंड के मनमोहक दर्शनों का लाभ उठाएंगे और जुथुलपुख के लिए अपनी यात्रा जारी रखेंगे I अथक, कठिन और सफलतम प्रयासों के उपरान्त यात्री दल सुन्दर वादियों और प्राकृतिक छटाओं का आनंद लेते हुए जुथुलपुख पहुंचेगा I
सुबह जुथुलपुख से 06 किलोमीटर की पैदल सरल मार्ग से यात्रा करते हुए यात्री दल दारचेन वापिस पहुंचेगा। यह कैलाश परिक्रमा का अंतिम पड़ाव है I दारचेन से ब द्वारा 03 घंटे यात्रा करके हम तकलाकोट रुकेंगे।
सुबह का नाश्ता कर यात्री दल चीन-नेपाल सीमा पर आप्रवास की औपचारिकताओं को पूर्ण कर नेपाल सीमा में प्रवेश करेगा और सिमिकोट - नेपालगंज के रास्ते हेलीकाप्टर एवं हवाई यात्रा द्वारा यात्री दल लखनऊ वापिस आएगा। लखनऊ से यात्री अपनी अग्रिम यात्रा के लिए प्रस्थान कर जायेंगे I
आवश्यक सुचना : जैसा कि सूचित किया गया है, हिल्सा-सिमिकोट-नेपालगंज हवाई यात्रा पूरी तरह से मौसम पर निर्भर है। इस यात्रा के दौरान उड़ानों में देरी, पुनर्निर्धारण (recheduling) या कैंसलेशन संभव है।
राष्ट्रीयता | यात्रा खर्च | अन्य शुल्क |
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भारतीय पासपोर्ट धारक | Rs. 230,000 + GST | चीनी वीज़ा - पैकेज में शामिल तिब्बत परमिट - पैकेज में शामिल नेपाल वीज़ा - जरूरत नहीं है यात्रा बीमा - उम्र के अनुसार अतिरिक्त |
यात्रा का महीना | आरंभ करने की तिथि | अंतिम तिथि | बुकिंग |
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मई'2025 | 08 मई* | 16 मई | संपर्क करें |
16 मई | 24 मई | संपर्क करें | |
22 मई | 30 मई | संपर्क करें | |
30 मई | 07 जून | संपर्क करें | |
जून'2025 | 06* जून | 14 जून | संपर्क करें |
12 जून | 20 जून | संपर्क करें | |
20 जून | 28 जून | संपर्क करें | |
26 जून | 04 जुलाई | संपर्क करें | |
जुलाई'2025 | 06 जुलाई* | 14 जुलाई | संपर्क करें |
25 जुलाई | 02 अगस्त | संपर्क करें | |
अगस्त'2025 | 04 अगस्त* | 12 अगस्त | संपर्क करें |
15 अगस्त | 23 अगस्त | संपर्क करें | |
28 अगस्त | 05 सितम्बर | संपर्क करें | |
सितम्बर'2025 | 03 सितम्बर* | 11 सितम्बर | संपर्क करें |
12 सितम्बर | 20 सितम्बर | संपर्क करें | |
18 सितम्बर* | 26 सितम्बर | संपर्क करें | |
25 सितम्बर | 06 अक्टूबर | संपर्क करें | |
अक्टूबर'2025 | 02 अक्टूबर* | 10 अक्टूबर | संपर्क करें |
10 अक्टूबर | 18 अक्टूबर | संपर्क करें |
कृपया ध्यान दीजिए : ऊपर (*) से अंकित तिथियों में पूर्णिमा के दिन मानसरोवर झील तक पहुंचने का प्रस्ताव है। पूर्णिमा के समय यहां पवित्र स्नान करना अधिक शुभ माना जाता है।
महत्वपूर्ण टिप्पणी: कैलाश मानसरोवर यात्रा पर सभी भोजन शुद्ध शाकाहारी होंगे। उपरोक्त सभी सेवाएँ और सुविधाएँ उपलब्धता पर निर्भर हैं।
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