मीटर फुट की ऊंचाई पर हिमालय पर्वत शिृंखला में स्थित मानसरोवर (या मानस सरोवर) झील तिब्बत की राजधानी ल्हासा से करीब 2000 किलोमीटर की दूरी पर कैलाश पर्वत के पास स्थित है I यह सुंदर, मोहक और पवित्र झील दुनिया की सबसे ऊंची मीठे पानी की झील है I मानस सरोवर इसका संस्कृत नाम है जबकि तिब्बतन भाषा में इसको ‘माफम युत्सु’ के नाम से जाना जात है I सूर्य की किरणों के बीच जब कैलाश पर्वत की परछाई इस झील के स्वच्छ पानी से दिखती है तो यह अद्भुत नजारा देखते ही बनता है I कैलाश पर्वत के दक्षिण तलहटी पर स्थित यह पवित्र झील 120 किलोमीटर के क्षेत्र में फैली है और मध्य से 330 फ़ीट तक गहरी है I इस झील का जल किनारों से नीले रंग का और शीशे की तरह साफ़ है जबकि मध्य से पन्ने जैसे हरे रंग का है I इसकी यह विविधता भी इस झील को मनमोहक और सुंदर बनाती है I दार्शनिक दृष्टि से इस झील के पास कई पुराने और सुंदर बौद्ध स्तूप और मंदिर हैं जिनमे से ‘चुई गोम्पा’ सबसे बड़ी और आकर्षित है I
आध्यात्मिक दृष्टि से मानसरोवर झील का हिन्दू और बौद्ध धर्म में अत्यधिक महत्व और उच्च स्थान है I प्रति वर्ष हजारों की संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक यहाँ दुनिया के कोने कोने से आते हैं, जिनमें से सबसे ज्यादा आगंतुक हिन्दू, जैनी और तिब्बतन बौद्ध होते हैं I बसंत ऋतू का समय पवित्र मानसरोवर झील के दर्शनों के लिए सर्वथा उपयुक्त रहता है, क्यूंकि इस मौसम में झील का जल पिघल कर पवित्र स्नान योग्य हो जाता है I ऐसी मान्यता है की इस पवित्र झील के जल में स्नान करने और इसका जल ग्रहण करने मात्र से भाग्य में वृद्धि होती है और जीवन के पापों से मुक्ति मिलती है I कई व्यवसायिक एवं अव्यवसायिक संस्थान इस पवित्र स्थान के भ्रमण हेतु यात्राओं का आयोजन करते है, जिनमे से 'मैक्स हॉलीडेज' एक सबसे निपुण एवं उपयुक्त भारतीय संस्थान है I प्रत्येक वर्ष मैक्स हॉलीडेज इस पवित्र स्थान की यात्रा का आयोजन करती है जिसे 'कैलाश मानसरोवर यात्रा' के नाम से जाना जाता है I
हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार यह माना जाता है की मानसरोवर झील का निर्माण खुद सृष्टि के रचेता भगवान् ब्रह्मा जी ने किया था क्यूंकि उन्होंने इस स्थान को धार्मिक दृष्टि से संसार में सर्वथा उपयुक्त मान था I कहा जाता है की ब्रह्मा जी के 12 पुत्रों ने, जो की स्वयं धर्म गुरु थे, यहाँ तपस्या और प्रार्थना की थी I अपने पुत्रों की तपस्या के लिए इस स्थान को और उपयुक्त बनाने के लिए भगवान् ब्रह्मा ने झील का निर्माण किया था जो आज संसार में ‘मानसरोवर झील’ के नाम से प्रसिद्द है I
जैन धर्म में भी मानसरोवर झील को धार्मिक स्थान प्राप्त है और ऐसा मान जाता है कि जैन धर्म के प्रथम तीर्थकर ऋषभदेव (आदिनाथ) यहाँ ध्यान लगाने आये थे I
बौद्ध धर्म में मानसरोवर झील को आनतोत्ता झील से जोड़ कर देखा जाता है जहाँ बुद्ध की माता माया ने भगवान् बुद्ध को अपने गर्भ में धारण किया था I बौद्ध धर्म के अनुसार ये मान्यता है की भगवान् बुद्ध को उनकी माँ ने इसी स्थान पर गर्भ में धारण किया था I बौद्ध धर्मग्रंथों के अनुसार भगवान् बुद्ध की माता को खुद भगवान् द्वारा यहां लाया गया था और जब वो मानसरोवर झील में स्नान करके निकली तो उन्होंने एक सफ़ेद हाथी को अपनी और आते हुआ देखा जो और तब भगवान् बुद्ध के रूप में उनके गर्भ में समा गया I ऐसा माना जाता है की अपने जीवनकाल में महात्मा बुद्ध ने इस झील के किनारे बैठकर अनेको बार ध्यान किया था |
यहाँ कैसे पहुंचे : मानसरोवर झील के दर्शन के लिए पहले 28-30 दिन का समय लगा करता था जो कि सभी के लिए संभव नहीं हो पाता था I लेकिन आजकल मानसरोवर के दर्शन के लिए इतना अधिक समय नहीं लगाना पड़ता और ‘मैक्स हॉलीडेज’ द्वारा आयोजित 'कैलाश मानसरोवर यात्रा' के अंतर्गत श्रद्धालुओं को केवल 08 से 10 दिन के समय में न केवल मानसरोवर झील के दर्शन कराये जाते हैं बल्कि पवित्र कैलाश पर्वत कि परिक्रमा भी करवाई जाती है जो कि गत समय में एक अत्यन्त दुर्लभ और खतरनाक यात्रा मानी जाती थी I
यात्रा कि बुकिंग कैसे करें ? : मानसरोवर झील और कैलाश पर्वत के दर्शन के लिए आज ही फ़ोन न. (+91) 8800750030 पर संपर्क करें अथवा info@kailash-yatra.org पर ईमेल भेजें I हमारे यात्रा विशेषज्ञ आपको अतिशीघ्र संपर्क करेंगे और आपको यात्रा सम्बन्धी सभी आवश्यक जानकारी प्रदान करेंगे
तिब्बत की सबसे पवित्र झील और विश्व की सबसे ऊंचाई पर स्थित मीठे पानी की झील मानी जाने वाली झील मानसरोवर, तिब्बत के सुदूर पश्चिमी हिस्से नगरी प्रांत में स्थित है। यह स्थान प्रसिद्ध माउंट कैलाश से ‘ज्यादा दूर नहीं’ माना जाता है।
विवरण देखेंपवित्र माउंट कैलाश की तलहटी में स्थित, मोक्ष द्वार (यम द्वार) कैलाश मानसरोवर यात्रा के सबसे प्रमुख स्थलों में से एक है। इसकी आध्यात्मिक महत्ता में लीन हो जाइए और शांति का अनुभव कीजिए!
विवरण देखेंपशुपतिनाथ एक हिन्दू मंदिर है जो देओपाटन नगर के केंद्र में स्थित है। यह मंदिर एक खुले प्रांगण के मध्य, बागमती नदी के तट पर बना हुआ है। यह गांव काठमांडू से लगभग 4 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम दिशा में स्थित है।
विवरण देखेंपशुपतिनाथ एक हिंदू मंदिर है जो देवपाटन नगर के केंद्र में स्थित है। यह एक खुले आंगन के बीच में बागमती नदी के किनारे बना हुआ है। यह गाँव काठमांडू से लगभग 4 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम दिशा में स्थित है।
विवरण देखेंसतलुज नदी के उत्तरी तट के पास स्थित तीर्थपुरी के गर्म जलस्रोत इस क्षेत्र के बंजर परिवेश को भाप से भर देते हैं। श्रद्धालु आमतौर पर कैलाश यात्रा के बाद तीर्थपुरी आते हैं। ऐसा भी माना जाता है कि...
विवरण देखेंओम पर्वत एक जादुई और प्रेरणादायक हिमालयी पर्वत शिखर है, जिसकी ऊँचाई लगभग 6191 मीटर है। यह पर्वत उत्तराखंड के धारचूला ज़िले में स्थित है। ओम पर्वत को विभिन्न नामों से जाना जाता है, जैसे आदि कैलाश, छोटा कैलाश आदि। यह पर्वत अपने शिखर पर प्राकृतिक रूप से बने 'ॐ' चिन्ह के कारण...
विवरण देखेंराक्षसों की झील – राक्षस ताल पवित्र मानसरोवर झील के पश्चिम में, माउंट कैलाश के पास स्थित है। यह झील समुद्र तल से लगभग 4752 मीटर (15,591 फीट) की ऊँचाई पर स्थित है। राक्षस ताल के उत्तर-पश्चिमी किनारे से ही सतलुज नदी का उद्गम होता है।
विवरण देखेंमुस्तांग जिले में थोरोंग ला पर्वतीय दर्रे के आधार पर स्थित, 3,610 मीटर (11,872 फीट) की ऊँचाई पर स्थित मुक्तिनाथ हिन्दू और बौद्ध दोनों के लिए अत्यंत पूजनीय पवित्र स्थल है।
विवरण देखेंसप्तऋषि गुफाएं माउंट कैलाश की इनर परिक्रमा (आंतरिक परिक्रमा) का एक अत्यंत महत्वपूर्ण स्थल मानी जाती हैं। साथ ही, ये गुफाएं कैलाश इनर कोरा के दौरान की जाने वाली सबसे कठिन यात्राओं में से एक मानी जाती हैं।
विवरण देखेंनंदी पर्वत को कैलाश मानसरोवर यात्रा के दौरान सबसे महत्वपूर्ण शिखरों में से एक माना जाता है और यह अत्यधिक धार्मिक महत्व रखता है। नंदी पर्वत की यात्रा और ट्रेक केवल कैलाश की इनर कोरा यात्रा के दौरान ही संभव होती है।
विवरण देखेंतिब्बत एक अत्यंत रहस्यमय देश है, जिसमें कुछ ऐसे अद्भुत ऐतिहासिक स्थल स्थित हैं जिन्हें देखकर यकीन करना मुश्किल हो जाता है कि वे वास्तव में अस्तित्व में हैं। इन्हीं में से एक है गुगे साम्राज्य, जिसे तिब्बत के सबसे शक्तिशाली साम्राज्यों में से एक माना जाता है।
विवरण देखेंपरम भक्तिपूर्ण यात्रा जो भगवान शिव के परम दिव्य धाम — माउंट कैलाश — तक पहुँचने के लिए की जाती है, वह सभी समयों की सबसे कठिन यात्राओं में से एक मानी जाती है। लेकिन इसके फल निस्संदेह अत्यंत शुभ और कल्याणकारी होते हैं।
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